धन विरहीत धरम हो !
ना गंगा मैय्या , ना गो माता
नाता है सिर्फ संपत्ती से
नाता है सिर्फ सत्ता से !
धरम केवल दिखावा है
श्रद्धालुओं से छलावा है !
ना श्रीकृष्ण से ना
उनकी प्रेम करूणा से !
ना श्रीराम से
ना उनकी मर्यादाओं से !
नही है रिश्ता इनका
उनके किसी भी उपदेश से !
मंदिर तो एक बहाना है
अर्थसरिता में नहाना है !
जिसने जल स्थल नभ का
निर्माण किया हो !
उसका आशियाना तो
बस एक फसाना है !
वह देखता है खुली आंखों से
भक्तगनों का चंदा भी ,
लूट का गोरखधंदा भी !
भोले भक्त और निष्पाप भी
अधर्मीओं के पाप भी
वह देखता है अनपढ बेघर
घुमंतू बाल गरिब भी !
इलाज की प्रतिक्षा में
दम तोडतें मरीज भी !
मंदीर बढे़ भिखारी भी
आत्मनिर्भरता की दुहाई भी !
देते महंगे विज्ञापन देखे
विकास की गवाही भी !
देखे रेत के ढेर में गढी
तैरती लाशों की कहानी भी !
सुन्न है रात का चंद्रमां
सुन्न मैय्या का पानी भी !
राम कृष्ण के नाम पर
हर कोई कमाता खाता है !
और बंदिस्त बेबस भुखी
स्वयं हमारी गोमाता है !
मन की मैल ना साफ है
ना साफ है गंगा मैय्या !
राम नाम से बढा हो गया
देखो यारों रुपय्या !
पाठशालाओं अस्पतालों को
चंदा कोई देता नही !
उसकी दानपेटी में उबाल है
जो कुछ भी लेता नही !
यह कैसी श्रद्धा है ?
यह कैसा मौका है ?
सादगी सीखाते साईराम को
गहनों रत्नों का तोफा है !
कहे वह आंखे खोल भक्त
देख मन की दृष्टी से !
झांसे में इनके मत आ
द्वेष हिंसा से तोबा कर
भुखे को खिला
प्यासे को पिला
सिंच फसल नफरत की
प्यार मुहोबत की वृष्टी से !
आस्था का गर व्यापार हो
तो व्यापारीयों पर कहर हो !
जो हड़पे उसकी जमीनों को
वह उठाए ऐसे कमिनों को !
खतम हो इनकी हस्ती !
शिवजी की जटाओं की धारा
ले डूबे इन पापियों की कश्ती !
भक्तों पर ना सही पर
भगवान पर तो रहम हो !
सत्य और न्याय का
मतलब ही धरम हो !
भक्ती श्रद्धा और विश्वास ,
काफी है धरम को
अतः धन विरहीत धरम हो !
धन विरहीत धरम हो !
बालासाहेब उर्फ बालाजी धुमाळ
मो. 9421863725
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