Monday 14 June 2021

धन विरहीत धरम हो!

 धन विरहीत धरम हो !









ना गंगा मैय्या , ना गो माता

ना इनका है इनसे नाता !

नाता है सिर्फ संपत्ती से

नाता है सिर्फ सत्ता से !

धरम केवल दिखावा है

श्रद्धालुओं से छलावा है !


ना श्रीकृष्ण से ना

उनकी प्रेम करूणा से !

ना श्रीराम से 

ना उनकी मर्यादाओं से !

नही है रिश्ता इनका

उनके किसी भी उपदेश से !


मंदिर तो एक बहाना है

अर्थसरिता में नहाना है !

जिसने जल स्थल नभ का

निर्माण किया हो !

उसका आशियाना तो

बस एक फसाना है !


वह देखता है खुली आंखों से

भक्तगनों का चंदा भी ,

लूट का गोरखधंदा भी !

भोले भक्त और निष्पाप भी

अधर्मीओं के पाप भी

वह देखता है अनपढ बेघर

घुमंतू बाल गरिब भी !

इलाज की प्रतिक्षा में

दम तोडतें मरीज भी !


मंदीर बढे़ भिखारी भी

आत्मनिर्भरता की दुहाई भी !

देते महंगे विज्ञापन देखे

विकास की गवाही भी !

देखे रेत के ढेर में गढी

तैरती लाशों की कहानी भी !

सुन्न है रात का चंद्रमां

सुन्न मैय्या का पानी भी !


राम कृष्ण के नाम पर

हर कोई कमाता खाता है !

और बंदिस्त बेबस भुखी

स्वयं हमारी गोमाता है !

मन की मैल ना साफ है

ना साफ है गंगा मैय्या !

राम नाम से बढा हो गया

देखो यारों रुपय्या !


पाठशालाओं अस्पतालों को

चंदा कोई देता नही !

उसकी दानपेटी में उबाल है

जो कुछ भी लेता नही !

यह कैसी श्रद्धा है ?

यह कैसा मौका है ?

सादगी सीखाते साईराम को

गहनों रत्नों का तोफा है !


कहे वह आंखे खोल भक्त

देख मन की दृष्टी से !

झांसे में इनके मत आ

द्वेष हिंसा से तोबा कर

भुखे को खिला

प्यासे को पिला

सिंच फसल नफरत की

प्यार मुहोबत की वृष्टी से !


आस्था का गर व्यापार हो

तो व्यापारीयों पर कहर हो !

जो हड़पे उसकी जमीनों को

वह उठाए ऐसे कमिनों को !

खतम हो इनकी हस्ती !

शिवजी की जटाओं की धारा

ले डूबे इन पापियों की कश्ती !

भक्तों पर ना सही पर

भगवान पर तो रहम हो !

सत्य और न्याय का

मतलब ही धरम हो !

भक्ती श्रद्धा और विश्वास ,

काफी है धरम को

अतः धन विरहीत धरम हो !

धन विरहीत धरम हो !


बालासाहेब उर्फ बालाजी धुमाळ

मो. 9421863725

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