Tuesday 15 March 2016

नारी स्वर्ग का द्वार है

नारी स्वर्गका द्वार है ......

नारी स्वर्ग का द्वार है
हर पुरूष का हथियार है|
कोमलता में फुल है
ठाने तो अंगार है |

सभी क्षेत्र में प्रगती पथपर
आदिमकालसे आदिशक्ती है |
नम्रता और प्यारकी मुरत
सगुण भाव से भक्ती है |

सुंदर है तु चांदसी शितल
क्रोध तेरा तपता सुरज है |
 सुख-दूख में दृढ रहे तु
पहचान तेरी धिरज है |


माता, बहना, सखी, अर्धांगिनी
सभी रूपोंमें नैश्वर है|
धरतीपर स्वर्ग बनाये
सच्चे अर्थसे ईश्वर है |


दया क्षमा का सागर है तू
माया ममता का दर्या है |
ममता वात्सल्य की घनी छांव तू
पतीकी पथदर्शक भार्या है |


चपलता में हिरनी है तू
शुरता में शेरनी है |
परिवारको प्यारसे बांधे
संकटमें यम हारिनी है|


गुंगेकी जूबान अंधेकी रोशनी है तू
बहरे के कान निर्बल की ताकत है |
मेरा तुझसे ना है कोई मुकाबला
तुझसे ही मेरी आज औकात है |



सलाम नारी शक्तीला.....
बालासाहेब (बी. एस.) धुमाळ.

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