Thursday 23 August 2018

अमर रहे तु अटल

(महाकवी महामानव भारतरत्न माजी पंतप्रधान स्वर्गीय श्री. अटलबिहारी वाजपेयीजी यांना कवितेतुन श्रद्धांजली अर्पण करण्याचा अल्पसा प्रयत्न)
अमर रहे तु अटल..

अमर रहे तु अटल....

ढुंडे तुझको यादों में
खिन्न अंतकर्ण और नैत्र सजल।
घर संसद हैरा है पागल
कहाँ गए कर आत्मा घायल।।
अमर रहे तु अटल....

कविताएं तेरी महाग्रंथ सी
समझाती जीवन का अर्थ सरल।
शब्द पुष्प सुगंधी ऐसे की
मोह ले हर दिल मोह ले हर मन।।
अमर रहे तु अटल....

अथक परिश्रम कर सिंचा लहू
फुलाया किचड में यशस्वी कमल।
लगभग तप रहे मौन अचल
फिर भी जादू तेरा सफल।।
अमर रहे तु अटल....

सब थे तेरे चाहने वाले
क्या सच्चा और क्या खल।
क्या मानव क्या आकाश
वायु, अग्नी, पृथ्वी तथा जल।।
अमर रहे तु अटल....

प्रखर स्वधर्माभिमानी परधर्म सहिष्णू तु
तु ही ब्रम्ह विष्णू तु ही शिवचरण।
मानवता की रक्षावश करे सुदिशादर्शन
अणवस्त्र संदर्भीत विश्वमत में लाएं बदल।।
अमर रहे तु अटल....

तप्त सूर्य सा तेरा तेवर
चंद्र सा तेरा स्वभाव शितल।
काव्य शब्दों की गहराई ऐसी
मानो जैसे समुद्र का तल।।
अमर रहे तु अटल....

प्रथम अंक हुवा संपन्न
गिर गया मृत्यू नामक पटल।
द्वितीय होगा प्रारंभ पुनःश्च
जब पुनर्जनम होगा तेरा कल।।
अमर रहे तु अटल....

निष्कलंक था जीवन सारा
स्वच्छ सुंदर व्यक्तित्व धवल।
जन्म सिद्ध था सबकुछ तुझमें
स्वयंनिर्मीत था ना थी नकल।।
अमर रहे तु अटल....

दिव्य दृष्टी थी विकास की
परिपक्व किए तुने तीनों दल।
सपनों की उचाँई इतनी की
बने हिन्दोस्ता विश्व में अव्वल।।
अमर रहे तु अटल....

चाहत थी सरिताओं का मिलन
जोंडे चारों दिशाओं के स्थल।
अजात था तू अवतारी पुरुष
बोया स्नेह उगाई प्रेम फसल।।
अमर रहे तु अटल....

विचार ऐसे जैसे मानो किताब
व्यक्तित्व संयमी और निश्चल।
सत्य निर्भीड और परिणामी भाष्य
शांत मुद्रा और हास्य निर्मल।।
अमर रहे तु अटल....

तेजपुंज तू हटाता अंधियारा
भारतरत्न तू सच्चा सबल।
प्रकाशमान करे मन मन को
प्राण प्रदान करे अमृत तरल।।
अमर रहे तु अटल....

सोच नई संदेश नये
तत्वनिष्ठ मूल्यों पर अढल।
उर्जा तेरी युवाओं को करे अचंबित
अविरत कर्म तु करे हरपल।।
अमर रहे तु अटल....

राष्ट्रहित था सबसे अहम
लोकतंत्र को ना किया बगल।
नेतृत्व ऐसा जो सबको समझे
अस्थिर अशांत मार्गस्थ चपल।।
अमर रहे तु अटल....

सत्य, अहिंसा, शांती का अध्याय
पढा़या तुने संपूर्ण जनम।
प्रेरणा ऐसी की अचल भी हो उर्जित
निर्बल को सदा दिया तुने बल।।
अमर रहे तु अटल....

निस्वार्थ कर्म का मिलता अवश्य फल
मत कर षडयंत्र मत कर छल।
सिख तेरी सदियों तक रहेगी याद
करेंगे तेरे अनुयायी अमल।।
अमर रहे तु अटल....
(बाळासाहेब सिताराम धुमाळ)
मो. 9673945092.

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